कम्प्यूटर का परिचय Introduction of Computer
हमारी सभ्यता में समय-समय पर ऐसे अनेक आविष्कार हुए हैं जिसके परिणामस्वरूप
मानव सभ्यता में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं, इनमें से मुख्य आविष्कार है-आग का
आविष्कार, पहिये का आविष्कार, कृषि का आविष्कार, शून्य का आविष्कार इत्यादि। ये सभी
आविष्कार ईसा पूर्व में हुए थे। इन्हीं आविष्कारों के परिणामस्वरूप मानव सभ्यता ने आधुनिक
सभ्यता में अपने सभ्य समाज की ओर कदम रखा। इसी कड़ी में 15वीं तथा 16वीं शताब्दी में
अनेक भौगोलिक खोजें हुई जिनके कारण मानव विश्व के कोने-कोने में स्थापित हो गया। ऐसी
अवस्था में परिवहन के अनेक साधन विकसित हुए। इसी क्रम में यूरोप में 17वीं तथा 18वीं शताब्दी
में औद्योगिक क्रान्ति हुई। इस औद्योगिक क्रान्ति ने न केवल सम्पूर्ण यूरोप, अपितु इनके अनेक
उपनिवेशों की स्थिति में पूर्ण परिवर्तन कर दिये। इन्हीं सब खोजों, क्रान्ति अथवा आविष्कार के
परिणामस्वरूप मानव का जीवन सरल तथा सुगम बना।
हमारे संसार में ऐसी ही एक क्रान्ति 19वीं शताब्दी में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई।
सूचना प्रौद्योगिकी की पद्धति ही परिवर्तित कर दी। इस सूचना क्रान्ति का आधारस्तम्भ
'कम्प्यूटर' (Computer) ही है। अपने आरम्भिक समय में यह कम्प्यूटर अत्यधिक महँगा तथा
दुर्लभ था, जोकि वैज्ञानिक प्रयोगशाला तथा विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों तक सीमित था। उस समय
इसका उपयोग करना अत्यन्त जटिल था। इसके अतिरिक्त इसका आकार अत्यधिक विस्तृत था
जिसके कारण इसके रख-रखाव में वृहद् क्षेत्र की आवश्यकता होती थी। इन सब कारणों के
परिणामस्वरूप कम्प्यूटर का तात्कालिक लाभ अत्यधिक सीमित था।
कम्प्यूटर निश्चय ही तकनीकी की दृष्टि से अत्यधिक उन्नत हा चुका है. इसके उपराना
इसके विकास की यात्रा अथवा विकास प्रक्रिया गतिमान है। कम्प्यूटर को तकनीकी मी
सभी मुख्य स्रोतों का बिन्दुवार वर्णन करेंगे।
परिणामस्वरूप नित्य नवीन आयाम स्थापित हो रहे है। इस अध्याय महम कम्प्यूटर स सम्बन्यिा
कम्प्यूटर क्या है?
What is Computer ?
यदि हम सरल शब्दों में कहें तो कम्प्यूटर एक ऐसा यन्त्र है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रका
के कार्यों को सम्पादित करने में किया जाता है। कम्प्यूटर का यह नाम अंग्रेजी भाषा के
(Compute) शब्द से लिया गया है। कम्प्यूट शब्द का शाब्दिक अर्थ गणना करना होता है। इस
प्रकार हम संक्षेप में कम्प्यूटर को एक गणना करने वाला यन्त्र कह सकते हैं। कम्प्यूटर को हिन्दी
भाषा में संगणक कहा जाता है। अर्थात् संगणक एक 'गणना करने वाला' यन्त्र है, किन्तु सामान्य
भाषा में इसे सुगमता के लिये कम्प्यूटर के नाम से ही जाना जाता है। साधारण भाषा में कहें तो
कम्प्यूटर एक ऐसी युक्ति अथवा यन्त्र है जो कि गणनाएँ, गणितीय क्रियाएँ तथा इसी प्रकार को
अन्य क्रियाएँ सम्पादित करता है। कम्प्यूटर का मूल कार्य तथा कार्यविधि ऐसी ही है जैसी कि एक
साधारण से कैलकुलेटर की होती है।
वास्तविक रूप से कहा जाये तो कैलकुलेटर की अपेक्षा कम्प्यूटर का कार्यक्षेत्र तथा इसके
द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएँ अत्यधिक विस्तृत हैं। कम्प्यूटर को उसका प्रयोगकर्ता कुछ
आँकड़े (Data) देता है। इन आँकड़ों में अंक, चित्र, लेख तथा संख्याएँ इत्यादि सम्मिलित रहते है।
कम्प्यूटर को आँकड़े अथवा डेटा देने के उपरान्त उन आँकड़ों पर जो भी कार्य अथवा क्रिया होनी
है उनकी सूचना, निर्देश अथवा कमाण्ड के रूप में कम्प्यूटर को दी जाती है संक्षेप में यहाँ आँकड़ों
पर किये जाने वाले कार्य अथवा किया का चयन किया जाता है। इसके उपरान्त कम्प्यूटर उस काय
अथवा क्रिया को पूर्ण कर प्राप्त परिणाम प्रयोगकर्ता के समक्ष प्रस्तुत करता है। कम्प्यूटर बहुत
उपयोगी तथा बहुरूपीय यन्त्र है जिसके परिणामस्वरूप उसे परिभाषित किया जाना सरल नहीं है,
किन्तु इस पर अनेक परिभाषाएँ बनाने का अवश्य ही प्रवास किया गया है।
कम्प्यूटर का इतिहास व विकास
History & Development of Computer
कम्प्यूटर का विकास: कम्प्यूटर का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है, जबकि चीन में एक
गणना यंत्र (Calculation device) अवेकस का अविष्कार हुआ। यह एक यान्त्रिक डिवाइस
(Mechanical device) है, जो आज भी चीन, जापान, सहित एशिया के अनेक देशों में अको को
गणना के लिए उपयोग किया जा रहा है। अबेकस ( Ahacus) तारों का एक फ्रेम होता है। इस
तारों में गोटी (Bead) पिरोए रहते हैं। प्रारम्भ में अवेकस को व्यापारी गणनाएं करने के लिए प्रयोग
किये जाते थे। वर्तमान में यह अवेकरा बच्चों को गिनती सिखाने वा जोड़, घराब आदि गणमा
करने के लिए उपयोग किये जाते हैं।
सन् 1890 कम्प्यूटर के इतिहास में अमेरिका की जनगणना का कार्य महत्वपूर्ण
घटना थी। सन 1990 से पूर्व जनगणना के कार्य में 7 वर्ष लगे थे। कम समय में जनगणना के का
को सम्मान करने के लिए हर्मन होलेरिथ ने सन 1809 1226 को बीच में एक मशीन बनाई जिसमें
पंचकाठों (Punch card) को विद्युत द्वारा संचालित किया गया। उस मान की सहायता से
जनगणना का कार्य तीन वर्ष में सम्पन्न हो गया। सन् 1924 में उस कम्पनी का नाम
'कम्प्यूटर टेबुलेटिंग रिकॉर्डिग कम्पनी' के जगह international Business Machine हो गया, जो
आज कम्प्यूटर निर्माण में विश्व की अग्रणी कम्पनियों में से एक है।
सन् 1940 में विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटिंग (ectrometrical Computing) शिखर पर पहुँच
चुकी थी। IBM के इंजीनियरों व हॉवर्ड आइकेन ने सन् 1944 में एक मशीन
विकसित किया और इसका Official Name-Automalic Sequence Controlled Calculator
रखा। बाद में इस मशीन का नाम 'B' रखा गया। यह विश्व का सबसे पहला विद्युत-यान्त्रिक
कम्प्यूटर (Tlectrometrical Computer) था।
सन् 1945 में विद्युत एटानासोफ तथा वलीफोर्ड बेरी ने एक इलेक्ट्रानिक मशीन को विकसित किया
जिसका नाम ABC रखा गया। ARC का पूरा नाम एटानासोफ बेरी कम्यूटर का संक्षिप्त रूप है।
सन 1945-46 के दौरान जॉन विलियम्स मूचली तथा जे.पी.एकर्ट ने सबसे पहला सामान्य
विशेषता वाला कम्प्यूटर का विकास पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय में किया जिसका नाम Eniac-
Llectronic Numeric Integer And Computer रखा गया
GENERATION OF COMPUTER
कम्प्यूटर का आधुनिक इतिहास अधिक पुराना नहीं है इसका आरम्भ हम 20वीं शताब्दी के
पूर्वाद्ध में देखते हैं, जबकि इसकी प्रथम पीढ़ी 1950 के दशक में आ गया है। यहाँ इसके विभिन्न
पीड़ियों का इतिहास विस्तृत है-
प्रथम पीढ़ी का कम्प्यूटर (The First Generation Computer)
पहली पीढ़ी के कम्प्यूटरों की शुरूआत 1951 के दशक में यूनिवेक । (UNIVAC I) के साथ
हुई। इनमें वेक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया और इनकी मेमोरी तरल पारे और विद्युतीय ड्रम्स
की पतली नली से निर्मित की गई है।
दिलीय पीड़ी का कम्यूटर (The second Generation Computer)
1960 के दशक के अंत में दूसरी पौड़ी के कम्प्यूटरों में वेक्यूम ट्यूम की जगह
"इन्सिस्टर" ने ले ली और मेमोरी ( IBM 1401. Floneywell 800) के लिए मैग्नेटिक कोर का
निर्माण होने लगा। कम्प्यूटर का आकार छोटा हो गया और विश्वसनीयता भी बढ़ गई।
गुण (Merits)
(1) यह तीच गति का थे।
यह मैग्नेटिक कोर मैमोरी की सहायता से चलते थे।
(3) इन्हें एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया सकता था।
दोष (Demerits)
(Dइसका व्यावसायिक उत्पादन महंगा था।
(2) इनमें हार्डवेयर को सफलता में थोड़ी कमी आयो।
B) इनको रखना और सभालना महँगा था।
तृतीय पीढ़ी का कम्प्यूटर (The Third Generation Computer)
तीसरी पीढी के कम्प्यूटरों की शुरूआत 1960 के दशक में हुई। इनमें पहली बार
'इबोटिड सर्टिट्स' (IBM 360 ए CDC 6400) एवं ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग हुआ। इनमें
ऑनलाइन सिस्टम का बड़े पैमाने पर विकास हुआ। इस समय के कम्प्यूटरों में कार्ड्स और
विद्युतीय टेप्स का इस्तेमाल कर बैच पर आधारित प्रोसेसिंग हुआ करती थी।
पुण (Merits)
(1) रख-रखाव ज्यादा महंगा नहीं था।
(2) इसमें गणना की गति माइक्रो सेकण्ड से नैनो सेकण्ड हो गई।
याइम शेयरिंग तकनीक का विकास हुआ।
दोष (Demerits)
(1) वातानुकूलन की आवश्यकता पड़ती थी।
Cric के उत्पादन के कारण अत्यधिक संवेदनशील तकनीक की आवश्यकता पड़ती थी।
७) इनमें हाई लेवल लैंग्वेज का ही प्रयोग होता था।
चतुर्व पीड़ी का कम्प्यूटर (The Fourth Generation Computer)
इनकी शुरूआत 1970 के दशक के मध्य में हुई। इस समय कम्प्यूटरों को बनाने में चिप
का इस्तेमाल होने लगा जिसके चलते छोटे प्रोसेसर्स (माइक्रो प्रोसेसर) और निजी कम्प्यूटर्स
(पर्सनल कम्प्यूटर्स) अस्तित्व में आये। इस समय के कम्प्यूटरों में डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोसेसिंग और
ऑफिस ऑटोमेशन की शुरूआत हुई। इस दौरान भाषाओं, रिपोर्ट राइटर्स और स्प्रेडशीट्स की वजह
से काफी संख्या में लोग कम्प्यूटर से जुड़े।
गुण(Merits)
(1) वे अत्यधिक छोटे आकार के थे।
(2) ये अत्यधिक विश्वसनीय थे।
(3) हार्डवेयर विफलताएँ न्यूनतम हुई।
दोष (Demerits)
(1) एल. एस. आई. चिप बनाने में अत्यधिक तकनीक की आवश्यकता थी।
(2) इस पोड़ी का समय सन् 1975 से 1995 यानि सिर्फ 20 साल तक ही यह चला।
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पंचम पीड़ी का कम्प्यूटर (The FiFTH Generation Computer)
पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटरों में कम्प्यूटिंग के कई बेहतरीन तरीकों आर्टिफिसियल
इंटेलिजेंस और ट्यू डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोसेसिंग को शामिल किया।
एक अथवा एक से अधिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिल-जुलकर कार्यरत प्रभागों के समूह
को सिस्टम कहा जाता है।
गुण (Merits)
(1) इनकी गति अति तीव्र है।
(2) ग्राफिक यूजर इष्टरफेस (GUI) का उपयोग होता है।
(3) नगण्य ऊष्मा का उत्सर्जन हुआ।
(4) वातानुकूलन आवश्यक नहीं होता है।
किसी भी प्रकार की सहायता के लिए नीचे कमेंट कर सकते हैं