बाल विकास की प्रमुख विशेषताएँ (Main Characterstics of ChildDeveloperment)
1. विकास का निश्चित स्वरूप
2. पूर्व की स्थिति में परिवर्तन
3. विकास की विशिष्टता
बाल विकास की विशेषताएं (Characterstics of Child Developement)
1. प्राकृतिक विकास
2. नया स्वरूप धारण करना
3. शारीरिक एंव बौद्धिक विकास 4. विकास में विशिष्टता
• बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक
1. बालक का वातावरण
2. बालक का पोषण
3.बालक का स्वाथ्य
4.
5. बालक की पारिवारिक स्थिति 6. यौन
बाल विकास का क्षेत्र
I. शारीरिक विकास
2. संवेगात्मक विकास
3. सामाजिक विकास
4. सृजनात्मकता का विकास
विकास के सिद्धान्त
1. निरन्तर विकास का सिद्धान्त
2. समान प्रतिमान का सिद्धान्त
3. एकीकरण का सिद्धान्त
4. सह-सम्बन्ध का सिद्धान्त
• शिक्षा का अर्थ (Meaning of Educatian)
शिक्षा अंग्रेजी शब्द "एजूकेशन का हिन्दी रुपान्तर है। जिसकी उत्पत्ति लैटिन शब्द एजूकेशन
(Educatum) तथा एडकेयर (Educare) से हुई है जिसका अर्थ-बालक के अन्दर हुपे
हुये ज्ञान को बाहर निकालना।
शिक्षा की परिभाषा (Defination of Education)
एस एस मकेन्जी के अनुसार, "व्यापक शब्द में शिक्षा एक ऐसी प्रकिया है जोजीवन पर्यन्त
चलती है तथा जीवन के प्रत्येक अनुभव से सम्बन्ध है।,,
• मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning of Psychology)
मनोविज्ञान अंग्रेजी भाषा के शब्द "साइकोलॉजी"(Psychology) का हिन्दी रुपान्तर है।
"साइकोलॉजी" दो शब्दों से मिलकर बना है साइक तथा लोगोस। इसका अर्थ आत्या के
विज्ञान से है।
• मनोविज्ञान की परिभाषा (Defination of psychology)
को व क्रो के अनुसार, " मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।"
• शिक्षा मनोविज्ञान प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
1. यह मनोविज्ञान की एक शाखा है।
2. वह सकारात्मक विज्ञान होते हुए भी पूर्ण रूप से शुङ विज्ञान नही है।
3. इसके द्वारा मनुष्यों के व्यवहार को समझा जाता है।
बाल विकास अर्थ (Meaning of Child Develoment)
1.विकास का अर्थ बालक के गर्भ में आने से लेकर, प्रौढ़ अवस्था तक से है।2. शैशवावस्था में सामाजिक विकास
3.प्रथम-द्वितीय मास में बच्चा मनुष्य की आवाज पहचानने लगता है।
4. तीसरे माह में बच्चा अपनी माँ को पहचानने लगता है।
5. एक वर्ष की आयु तक आते-आते मना किये जाने वाले कार्यों को नही करता।
शैशवावस्था में सामाजिक विकास
1. प्रथम द्वितीय मास में बच्चा मनुष्य की आवाज पहचानने लगता है।
2. तीसरे माह में बच्चा अपनी माँ को पहचानने लगता है।
3. एक वर्ष की आयु तक आते-आते मना किये जाने वाले कार्यों को नही करता।
बाल्यावस्था में सामाजिक विकास
1. विद्यालय में पहुँचकर बालक किसी न किसी समूह का सदस्य बन जाता है।
2. बालक में सामाजिक विकास समूह के साथ अधिक रहने से होता है।
3. खेलों के द्वारा वह सामाजिक सम्पर्क थापित किया जाता है।
. किशोरावस्था में सामाजिक विकास
1. इस अवस्था में किशोर अपनी योग्यता के आधार पर समूह में स्थान प्राप्त करता है।
2. किशोरावस्था में किशोरों में जीवन दर्शन का निर्माण हो जाता है।
3. इस अवस्था में किशोर किशोरियाँ व्यवसाय के लिए चिन्तित दिखाई देते हैं।
सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
1. परिवार
2. स्कूल
3. समुदाय का प्रभाव
4. आस-पड़ोस का प्रभाव
5. सामाजिक आर्थिक स्तर
बाल्यावस्था में सामाजिक विकास
1. विद्यालय में पहुँचकर बालक किसी न किसी समूह का सदस्य बन जाता है।
2. बालक में सामाजिक विकास समूह के साथ अधिक रहने से होता है।
3. खेलों के द्वारा वह सामाजिक सम्पर्क स्थापित किया जाता है।
किशोरावस्था में सामाजिक विकास
1. इस अवस्था में किशोर अपनी योग्यता के आधार पर समूह में स्थान प्राप्त करता है।
2. किशोरावस्था में किशोरों में जीवन दर्शन का निर्माण हो जाता है।
3. इस अवस्था में किशोर किशोरियाँ व्यवसाय के लिए चिन्तित दिखाई देते हैं।
सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
1. परिवार
2. समुदाय का प्रभाव
3. आस-पडोंस का प्रभाव
4. सामाजिक आर्थिक स्तर
• बाल विकास की अवस्थाएँ-बाल विकास की मुख्यत: तीन अवस्थाएँ हैं-
(i) शैशवावस्था (Infacy)
(ii)बाल्यावस्था (Childhoocl)
(iii) किशोरावस्था (Adolscence)
1. शैशवावस्था-शिशु के जन्म के छ: वर्ष शैशवावस्था कहलाते हैं।
शैशवावस्था की मुख्य विशेषताएं-
1. शैशवावस्था के प्रथम दो वर्षों में शिशु का शारीरिक विकास अति तीव्र गतिसे होता है।
2. शिशु को मानसिक शक्तियाँ कार्य करने लगती है जैसे ध्यान, स्मृति।
3. जन्म के बाद शिशु असहाय होता है।
4. शिशु में आत्म प्रेम की भावना प्रबल होती है।
बाल्यावस्था-
1. मानव जीवन के लगभग 6-12 वर्ष के बीच की आयु के काल को बाल्यावस्था
2. माना जाता है। इस काल को बालक का अनोखा काल भी कहते हैं।
बाल्यावस्था की प्रमुख विशेषताएँ
1. बाल्यावस्था में शारीरिक व मानसिक विकास में स्थिरता आ जाती है।
2. इस समय बच्चे की मानसिक योग्यताओं में वृद्धि होती है।
3. इस अवस्था में बालक में नैतिक गुणों का विकास होता है।
4. बालक जिज्ञासु हो जाता है।
किशोरावस्था-
1. किशोरावस्था को अंग्रेजी भाषा में एडोलेसेन्स(Adolescence)
2. शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है- वृद्धि होना। इसका काल 12-18 वर्ष तक होता है। इस काल को संघर्ष, आँधी व तूफान की अवस्था कहते है।
किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएँ
1. किशोर अपने समान वातावरण में समायोजन करने का प्रयास करते हैं।
2. किशोर अपने समूह में घनिष्ठता से सम्बन्ध रखता है।
3. कल्पना एवं दिवास्वप्न देखने की बहुलता होती है।
4. इस आयु में विद्रोह की भावना विकसित होती है।
5. विरोधी मानोभावों की समस्या
6.स्वतन्त्रता की समस्या
7. आत्म गौरव की समस्या
8. प्रबल जिज्ञास की समस्या
9. व्यवसाय चयन की समस्या
10. यौन समस्याएँ
11.कल्पनाशील क्रियाओं की समस्या
12. . किशोरावस्था के विकास की अवस्थाएँ
13. स्वप्रेम
14. विषमलिंग कामुकता
किशोरावस्था में शिक्षक की भूमिका
1. उनको रुचि के अनुसार कार्य दें।
2. उनको सामाजिक मान्यता प्रदान करें।
3. उनकी जिज्ञासाओं को शान्त करें। उनका दमन कभी न करें।
4. उनमें नेतृत्व के गुणों का विकास करें।
2 टिप्पणियाँ
Click here for टिप्पणियाँNice notes sir 👌👌👌👌👌
ReplySir apka telegram Par channel nhi h koi ho to plz sir link bhej dijiyega
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